इस साल सरकारी स्कूलों के 45 लाख छात्र-छात्राओं को पिछले वर्ष की तरह कपड़ा नहीं मिलेगा। इसके बजाय, सरकार अब रेडीमेड यूनिफॉर्म उपलब्ध कराएगी। इस बदलाव का कारण है टेंडर प्रक्रिया में देरी, जो इस साल देरी से अक्टूबर महीने में शुरू होगी। और बच्चों को जनवरी के पहले सप्ताह में यूनिफ़ॉर्म वितरण की जाएगी।
शिक्षा विभाग की ओर से बताया गया कि इस वर्ष रेडीमेड यूनिफॉर्म देने के लिए 425 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। नई नीति के तहत बच्चों को दो-दो सेट यूनिफॉर्म दिए जाएंगे। इससे पहले, पिछले दो वर्षों में सरकार ने बच्चों को कपड़ा वितरित करके खुद सिलवाने के लिए 200 रुपये प्रति छात्र की दर से राशि प्रदान की थी। अब यह प्रक्रिया बदलकर रेडीमेड यूनिफॉर्म पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
टेंडर प्रक्रिया और सप्लाई की स्थिति
निविदा प्रक्रिया अक्टूबर में शुरू होगी, जिसके बाद इसकी सप्लाई प्रक्रिया को 60 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रक्रिया की समाप्ति के बाद, रेडीमेड यूनिफॉर्म जनवरी से पहले बच्चों तक पहुंच जाएगी। इसमें गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए निविदा प्रक्रिया को सख्ती से लागू किया जाएगा।
बढ़ते नामांकन और यूनिफॉर्म की आवश्यकता
पांचवीं कक्षा तक 65 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में कुल 45 लाख से अधिक विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिलेगा। शिक्षा विभाग के अनुसार, कक्षा 1 से 5 तक के नामांकन इस प्रकार हैं: कक्षा 1 में 91,1422 छात्र, कक्षा 2 में 8,33,760, कक्षा 3 में 9,49,530, कक्षा 4 में 9,51,199 और कक्षा 5 में 9,00,429 छात्र नामांकित हैं।
राज्य सरकार का उद्देश्य
राज्य सरकार का उद्देश्य है कि सभी बच्चों को समय पर और समान यूनिफॉर्म मिले, ताकि शिक्षा के स्तर में सुधार हो सके। शिक्षा सचिव कृष्णा कुणाल ने बताया कि सरकार द्वारा इस प्रक्रिया को शीघ्रता से लागू किया जा रहा है, ताकि बच्चों को यूनिफॉर्म के अभाव में किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
इस प्रकार, इस वर्ष प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को रेडीमेड यूनिफॉर्म उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे समय और गुणवत्ता की दृष्टि से सुधार की उम्मीद है।