रीट परीक्षा में राजस्थानी भाषा को शामिल करने की संभावना को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने निर्देश दिए है। इस पर सरकार ने कहा है की प्राथमिक शिक्षा में राजस्थानी भाषा को शामिल करने पर विचार चल रहा है।
दरअसल राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजस्थानी भाषा के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए रीट अध्यापक भर्ती परीक्षा में राजस्थानी भाषा को शामिल करने की संभावना तलाशने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति डॉ. पुष्पेन्द्रसिंह भाटी और न्यायमूर्ति योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ के समक्ष पदमचंद मेहता और कल्याणसिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता के वकील, अशोक कुमार चौधरी ने बताया कि राजस्थान में 4 करोड़ से अधिक लोग राजस्थानी भाषा बोलते हैं, लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को यह भाषा नहीं सिखाई जा रही है।
बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि जहां तक संभव हो, बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
नई शिक्षा नीति 2020 में भी यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि बच्चों को मातृभाषा में ही शिक्षा मिलनी चाहिए। राज्य सरकार रीट के माध्यम से शिक्षकों का चयन करती है, लेकिन उसमें उर्दू, सिंधी, गुजराती और अंग्रेजी जैसी भाषाओं को शामिल किया गया है, जो केवल कुछ हजार लोगों द्वारा ही बोली जाती हैं।
मातृ भाषा में शिक्षा न मिलने से न केवल बच्चों के साथ अन्याय हो रहा है, बल्कि राजस्थान अपनी संस्कृति भी खो रहा है। भाषा के लुप्त होने के कारण हजारों सालों के अनुभव और समृद्ध संस्कृति का ह्रास हो रहा है।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता बीएल भाटी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देने के लिए प्रयासरत है और इस दिशा में लगातार कदम उठा रही है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को निर्धारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह राजस्थानी को रीट में भाषा के रूप में शामिल करने की संभावना की जांच करे।