राजस्थान सरकार ने राज्य में नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के तहत मिलने वाली मुफ्त गेहूं योजना में बड़े बदलाव की घोषणा की है। सरकार ने इस योजना के अंतर्गत लगभग 1 करोड़ से अधिक परिवारों की जांच कराने का निर्णय लिया है। इस जांच के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वे परिवार जो इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, वे वाकई इसके पात्र हैं या नहीं।
जांच की प्रक्रिया
जांच की प्रक्रिया के दौरान उन परिवारों को विशेष ध्यान में रखा जाएगा, जिन परिवारों में सभी सदस्यों के आधार कार्ड लिंक नहीं है या जो गलत जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं, उन्हें योजना से बाहर किया जा सकता है।
यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि कई परिवार ऐसे पाए गए हैं, जिनके पास पर्याप्त संपत्ति और संसाधन हैं, फिर भी वे इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। विशेष रूप से उन परिवारों को टारगेट किया जाएगा जिनके पास घर में एयर कंडीशनर, कार या अन्य लग्जरी आइटम्स हैं।
ऑटोमेटेड जांच
इस जांच में ऑटोमेटेड प्रक्रिया का भी सहारा लिया जाएगा, जिसमें मुख्य रूप से परिवहन विभाग के डेटा का उपयोग होगा। उन परिवारों का पता लगाया जाएगा जिनके पास वाणिज्यिक वाहन या अन्य महंगे साधन हैं। साथ ही, टैक्सी और बड़े चार पहिए वाहन रखने वाले परिवारों को भी योजना से बाहर किया जाएगा।
राज्य सरकार का उद्देश्य
राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य इस जांच के माध्यम से यह सुनिश्चित करना है कि केवल योग्य और जरूरतमंद परिवार ही इस योजना का लाभ उठा सकें। राज्य में लगभग 4 करोड़ 35 लाख से अधिक परिवार इस योजना से जुड़े हुए हैं, और सरकार ने सुनिश्चित किया है कि केवल सही और जरूरतमंद लोगों तक ही यह लाभ पहुंचे।
योजना का विवरण
राजस्थान सरकार के इस निर्णय से उन परिवारों पर विशेष असर पड़ेगा, जो इस योजना का लाभ उठाते हुए राज्य से मुफ्त गेहूं प्राप्त कर रहे थे। राज्य में NFSA के तहत 1 करोड़ 7 लाख से अधिक परिवार जुड़े हुए हैं। ये परिवार केंद्र और राज्य सरकार के अंतर्गत मुफ्त राशन दुकानों से प्रति सदस्य हर महीने 5 किलो गेहूं प्राप्त करते हैं।
निष्कर्ष
इस पूरी प्रक्रिया के अंतर्गत राजस्थान सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सरकारी योजनाओं का लाभ केवल उन परिवारों तक पहुंचे, जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत है। इस कदम से राज्य में फर्जी लाभार्थियों को हटाने में मदद मिलेगी और योग्य लोगों को इसका सही फायदा मिल सकेगा।